वन विभाग की कड़ी मशक्कत के बाद सहसपुर में गुलदार को पिंजरा लगाकर कैद किया गया था। लेकिन अब प्रदेश में चारों रेस्क्यू सेंटरों में जगह नहीं होने से वन विभाग के सामने गुलदार को रखने का संकट खड़ा हो गया है।
बता दें ढाई से तीन साल के स्वस्थ गुलदार को चार फीट चौड़े और सात फीट लंबे पिंजरे में कैद हुए समय अब लगातार बढ़ ही रहा है। लेकिन वन वभाग के पास अभी उसे पिंजरे में रखने के अलावा कोई और चारा नहीं है।
पिंजरे में ही कैद है गुलदार
जानकारी के मुताबिक मामले में प्रभारी रेंज अधिकारी मुकेश कुमार ने बताया कि गुलदार को गहन निगरानी में रखा गया है। उन्होंने बताया की अभी इसकी जानकारी नहीं है कि कब तक गुलदार को पिंजरे में रखा जाएगा।
मामले में डीएफओ अमरेश कुमार का कहना है कि रेस्क्यू सेंटर और चिड़ियाघरों को लेकर अधिकारियों से बात चल रही है। अभी गुलदार को कालसी वन प्रभाग की तिमली रेंज में रखा गया है। जल्द ही उसे किसी रेस्क्यू सेंटर में शिफ्ट किया जाएगा।
प्रदेश में है कुल चार चार रेस्क्यू सेंटर
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में कुल चार रेस्क्यू सेंटर हैं। इनमें दो कुमाऊं मंडल में है, एक कार्बेट नेशनल पार्क की ढेला रेंज और दूसरा अल्मोड़ा जिले में है। गढ़वाल मंडल में एक रेस्क्यू सेंटर दून चिड़ियाघर और दूसरा चिड़ियापुर हरिद्वार जनपद में है। इनमें पहले से गुलदार हैं।
स्वस्थ गुलदार को ज्यादा समय तक पिंजरे में रखना ठीक नहीं
मीडिया रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुए बयानों के मुताबिक डॉ. दीप्ति अरोड़ा का कहना है कि स्वस्थ गुलदार के ज्यादा देर पिंजरे में कैद रखना ठीक नहीं है। इसमें सबसे बड़ा खतरा उसके पिंजरे में दांत गड़ाने का रहता है। इसके अलावा गुलदार खुद को पंजे मारकर घायल भी कर सकता है। उन्होंने बताया कि गुलदार का कमजोर दिल होने के कारण हृदयाघात भी हो सकता है।