PM Kisan Nidhi 13th Instalment : किसानो की बल्ले बल्ले, 13 वीं क़िस्त आने से पहले आई खुशखबरी, हर क‍िसान को म‍िलेगा फायदा

PM Kisan Nidhi 13th Instalment: अगर आप पीएम क‍िसान सम्‍मान न‍िध‍ि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojana) के लाभार्थी हैं तो सरकार की तरफ से एक और अच्‍छी खबर दी जा रही है. इस बारे में केंद्रीय कृष‍ि मंत्री नरेंद्र स‍िंह तोमर ने जानकारी दी है. कृष‍ि मंत्री ने यह खबर ऐसे समय में दी है, जब क‍िसानों की तरफ से 13वीं क‍िस्‍त का इंतजार क‍िया जा रहा है. दरअसल, सरकार की नई योजना का फायदा पशु पालकों को होगा. आपको बता दें एक र‍िपोर्ट से यह साफ हो चुका है क‍ि देश में करीब 95 फीसदी पशुपालन क‍िसानों के द्वारा क‍िया जाता है. कृष‍ि मंत्री ने कहा क‍ि देश में करीब आधी स्वदेशी पशुधन नस्लों को अभी तक वर्गीकृत नहीं किया गया है. उन्‍होंने कहा क‍ि कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उनकी पहचान करने की  जरूरत है.

पशुओं की पहचान के लिए विशेष अभियान शुरू किया
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) इस पर तेजी से काम कर रहा है. देश में ऐसी नस्लों की पहचान के लिए विशेष अभियान शुरू किया गया है. आईसीएआर (ICAR) की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में पशु नस्ल पंजीकरण प्रमाणपत्र (Animal Breed Registration Certificate) देने के बाद तोमर ने कहा, ‘देश का करीब आधा पशुधन अभी तक वर्गीकृत नहीं है. हमें जल्द अनूठी नस्लों की पहचान करनी होगी, ताकि इन नस्लों को बचाया जा सके.’

आईसीएआर की सराहना की
कृषि मंत्री ने कहा क‍ि देश में पशुधन की बड़ी संख्या में देशी नस्लें हैं, जिन्हें सभी क्षेत्रों में पहचानने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इससे कृषि क्षेत्र को समृद्ध बनाने में मदद मिलेगी. इस दिशा में काम करने के लिए आईसीएआर (ICAR) की सराहना करते हुए मंत्री ने कहा, ‘ऐसा काम आसान नहीं है और इसे राज्य के व‍िश्‍वविद्यालयों, पशुपालन विभागों, गैर-सरकारी संगठनों आदि के सहयोग के बिना पूरा नहीं किया जा सकता है.’

उन्होंने कहा कि आईसीएआर ने इन सभी एजेंसियों के सहयोग से मिशन मोड में देश के सभी पशु आनुवंशिक संसाधनों का प्रलेखन शुरू किया है. पूरी दुनिया इस समय पशुधन और मुर्गीपालन क्षेत्र में भारत की विशाल विविधता को देख रही है. देश में पशु आनुवंशिक संसाधनों का दस्तावेजीकरण करने और उनकी आनुवंशिक विविधता को संरक्षित करने के प्रयासों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा भी सराहना की गई है.

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