Artificial Intelligence will take away Jobs: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) लगभग हर इंडस्ट्री में इंसानों के भविष्य को आकार दे रहा है. जिस तरीके से नई टेक्नोलॉजी तेजी से पैर पसार रही है, उससे इंसानों की नौकरियों पर खतरा बढ़ गया है. IBM CEO अरविंद कृष्णा ने भी इस बात पर मोहर लगा दी है. उन्हें लगता है कि नए जमाने की टेक्नोलॉजी की आक्रामक तेजी जल्द ही “व्हाइट कॉलर जॉब” यानी क्लर्क टाइप की नौकरियों पर हावी हो जाएगी. ऐसे में कई लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है.
एक न्यूजपेपर को दिए इंटरव्यू में आईबीएम सीईओ अरविंद कृष्णा ने लैंग्वेज बेस्ड AI ChatGPT को मौजूदा मार्केट के लिए “अविश्वसनीय” पल बताया है. हालांकि, उन्होंने ऐसी नौकरियों के बारे बताया है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से जा सकती हैं. कृष्णा के अनुसार कस्टमर सर्विस, ह्यूमन रिसोर्स, फाइनेंस और हेल्थ केयर में ऑटोमेशन आ सकता. ऐसे में लोगों की नौकरियां खत्म होने का खतरा है.
AI से दूर होगी लेबर की कमी
कृष्णा ने कहा AI पूरी दुनिया में लेबर की कमी की समस्या का दूर कर सकता है. उन्होंने कहा, “हमारे पास वास्तविक दुनिया में लेबर की कमी है और यह एक डेमोग्राफिक मुद्दे के कारण है, जिसका सामना दुनिया कर रही है… संयुक्त राज्य अमेरिका अब 3.4 फीसदी बेरोजगारी पर बैठा है, जो 60 सालों में सबसे कम है. इसलिए शायद हम टूल ढूंढ सकें जो लेबर के कुछ हिस्सों को बदल सकता है, और इस बार यह अच्छी बात है.”
McDonald’s के साथ IBM की पार्टनरशिप
उन्होंने आगे कहा कि हेल्थ केयर और फाइनेंस फील्ड में एआई जो जॉब रिप्लेस कर रहा है वो “रेगुलेट्री वर्क” है. IBM ने 2021 में McDonald’s के साथ फास्ट-फूड चेन की ड्राइव-थ्रू लेन को ऑटोमैटिक करने में मदद करने के लिए पार्टनरशिप की है. आईबीएम सुपरकंप्यूटर डीप ब्लू में भी शामिल रहा, जिसने 1997 के शतरंज मैच में गैरी कास्परोव और 2010 में “जियोपार्डी!” जीतने वाली मशीन वाटसन को हराया था.
AI से 90% डेटा प्रोसेसिंग
IBM CEO ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दवा खोजने या कैमिस्ट्री जैसी चीजों को मैनेज करने के काबिल है. यह टेक्नोलॉजी लोगों को बढ़ावा देने, लोगों को काम पर रखने, लोगों को ट्रांसफर करने के लिए जरूरी 90 फीसदी डेटा प्रोसेसिंग कर सकती है. हालांकि, आखिरी फैसला लेने का अधिकार इंसानों के पास ही होगा. उन्हें लगता है कि AI से क्लर्क लेवल की जॉब जा सकती है.