अंगों का पुनर्जनन: विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बल से वैज्ञानिकों को न केवल पृथ्वी बल्कि अंतरिक्ष में भी देखा जाता है। दुनिया भर के वैज्ञानिक तरह-तरह की चीजों पर शोध कर रहे हैं। आने वाले समय में कई नई खोजें की जाएंगी। मानव शरीर और जानवरों तक पर तरह-तरह के शोध चल रहे हैं। दुनिया में तरह-तरह के जानवर मौजूद हैं। प्रत्येक की अपनी अनूठी विशेषताएं और क्षमताएं हैं। कुछ जानवर ऐसे हैं जो अपने कटे हुए अंगों को फिर से उगा सकते हैं। वैज्ञानिक भाषा में इसे अंगों का पुनर्जनन कहते हैं। हिरन अपने टूटे हुए सींगों को फिर से उगा सकते हैं और हिरण एक टूटी हुई पूंछ को भी फिर से उगा सकते हैं। लेकिन मनुष्य के पास वह क्षमता नहीं है।
क्या कटे हुए मानव के हाथ और पैर फिर से बढ़ सकते हैं?
क्या आपने कभी सोचा है कि क्या इंसानों में भी कटे हुए अंगों को फिर से उगाने की क्षमता होती है? क्या आपने कभी सोचा है कि क्या कोई व्यक्ति अपने कटे हुए हाथ और पैर को फिर से उगा सकता है? फिलहाल इसका जवाब ‘नहीं’ है। लेकिन आने वाले समय में यह भी संभव हो सकता है। जी हां, वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसान ऐसी क्षमता विकसित कर सकता है। इंसान इसे हासिल करने से सिर्फ एक कदम दूर है।
वैज्ञानिक ‘यह’ प्रयोग करना चाहते हैं
वैज्ञानिक मानव अंगों के पुन: विकास के साथ प्रयोग करने के लिए उत्सुक हैं। वैज्ञानिक मानव शरीर में हाथ और पैर विकसित करने वाली कोशिकाओं को विकसित करने की क्षमता विकसित करने की कोशिश करना चाहते हैं। ब्लास्टेमा कोशिकाएं हिरण के शरीर में उसके सींगों को पुनर्जीवित करने के लिए पाई जाती हैं। इसका इस्तेमाल कर वैज्ञानिक मानव शरीर में भी ऐसी क्षमताएं विकसित करना चाहते हैं। वैज्ञानिक इस पुनर्जनन प्रयोग को मानव शरीर पर भी करना चाहते हैं।
चूहों पर प्रयोग सफल रहे
जर्नल साइंस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक रीजनरेशन चूहों पर प्रयोग सफल रहा है। चीन के शीआन में नॉर्थवेस्टर्न पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यह सफल पुनर्जनन प्रयोग किया है। हैरानी की बात यह है कि वैज्ञानिकों ने हिरण के शरीर में पाई जाने वाली ब्लास्टेमा प्रोजेनिटर कोशिकाओं को चूहे के शरीर में छोड़ दिया। 45 दिनों के बाद चूहे के सिर पर सींग जैसी आकृति दिखाई दी।
मानव शरीर पर कैसे काम करेगी यह तकनीक?
वैज्ञानिकों ने हिरणों के सींगों और उनके लिए आवश्यक कोशिकाओं का बहुत विस्तार से अध्ययन किया है। वैज्ञानिकों ने एक साल तक अध्ययन करने के बाद अंग के दोबारा बढ़ने की प्रक्रिया को समझ लिया है, ऐसा इस अध्ययन में कहा गया है। पुनर्जनन पर काम कर रहे वैज्ञानिकों का मत है कि इस शोध के माध्यम से जानवरों की तरह मानव अंगों को फिर से बनाने का प्रयास किया जा सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, मानव शरीर में पुनर्जनन संभव है। जब ब्लास्टेमा कोशिकाएं मानव शरीर में प्रवेश करती हैं, तो ये कोशिकाएं हमारी हड्डियों और उपास्थि को पुन: उत्पन्न करने का काम कर सकती हैं।
अध्ययन में केवल हिरणों को ही क्यों शामिल किया गया?
स्व-नवीनीकरण कोशिकाएं, यानी पुन: उत्पन्न होने वाली कोशिकाएं, कई स्तनधारियों में पाई जाती हैं। चूहों में भी इस प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं, लेकिन हिरण ही एकमात्र ऐसा जानवर है जो इन कोशिकाओं का अच्छा उपयोग करता है। अध्ययन में पाया गया कि जैसे ही हिरण के सींग झड़ना शुरू होते हैं ब्लास्टेमा कोशिकाएं तुरंत सक्रिय हो जाती हैं। एक बार जब सींग पूरी तरह से गिर जाता है, तो एक नया सींग बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसलिए रिसर्च में हिरण का इस्तेमाल किया गया।