मसालों के उपयोग के बिना खाना अच्छा नहीं बनता है और भारत हो या विदेश मसालों की मांग बनी रहती है. भारत में बड़े पैमाने पर मसालों का उपयोग किया जाता है क्योंकि भारत में शादी विवाह हो या फिर नॉर्मल खाना मसालों के बिना कोई काम नहीं हो पाता है.
भारत ही नहीं विदेशों में भी है इस मसाले की तगड़ी डिमांड,इसकी खेती कर किसान 6 महीने में बन जायेगे अमीर,जाने तरीका
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भारत से मसालों का सप्लाई विदेशों में किया जाता है क्योंकि भारतीय मसालों की मांग लगातार बनी रहती है. आपको बता दें कि भारत में कई तरह के ऐसे मसाले हैं जो कि अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम तक सप्लाई किए जाते हैं. अंग्रेजों के समय से और पुर्तगाल जब भारत में आए थे तब से ही भारत से मसालों का सप्लाई विदेशों में किया जाने लगा.
आज हम आपको जिस मसाले के बारे में बताने वाले हैं उस मसाले की खेती भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी की जाती है लेकिन भारत में इसकी मांग काफी जाता है. हम बात कर रहे हैं अजवाइन की खेती के बारे में.
भारत ही नहीं विदेशों में भी है इस मसाले की तगड़ी डिमांड,इसकी खेती कर किसान 6 महीने में बन जायेगे अमीर,जाने तरीका
बता दे कि अजवाइन की खेती के लिए गर्मी का मौसम उपयुक्त नहीं होता है बल्कि इसके लिए सर्दियों का मौसम उपयुक्त होता है क्योंकि उस समय मिट्टी में नमी बनी रहती है.
अजवाइन की फसल 160 दिनों में तैयार हो जाती है और सबसे बड़ी बात है कि अजवाइन की जो फसल होती है उसकी ऊंचाई ज्यादा नहीं होती है बल्कि 110 सेंटीमीटर होती है. इस खेती की मांग इसलिए भी हमेशा बनी रहती है क्योंकि हमेशा ज्वाइन की बिकने वाली रेट 15000 क्विंटल होती है.
किसान भाई कैसे करें अजवाइन के खेत की तैयारी
हरदोई के जिला उद्यान अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि अजवाइन की फसल के लिए खेत तैयार करने के पहले उसे 15 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद डालते हुए मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई कर पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लिया जाता है. एक हेक्टेयर में 45 किलोग्राम नाइट्रोजन और उतनी ही फास्फोरस खेत में डाली जाती है. उसके बाद आवश्यकता अनुसार पोटाश का भी प्रयोग किया जाता है. एक हेक्टेयर में करीब 5