World Most Big Shivling: मध्यप्रदेश के इस गांव में स्थित है दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग, एक ही रात में बनकर हुआ था तैयार, जानिए पूरी कहानी। रायसेन जिले के भोजपुर के भोजेश्वर महादेव मंदिर के शिवलिंग को दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है. इस मंदिर का प्राचीन इतिहास और रोचक तथ्य आकर्षक हैं.
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लाखो श्रद्धालु भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते है
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के भोजपुर में विश्व प्रसिद्ध भोजेश्वर महादेव मंदिर है. सावन के महीने में हर दिन इस मंदिर में विशेष पूजा की जाती है. इस प्राचीन शिव मंदिर में पूरे सावन में भक्तों का तांता लगा रहता है. यहां भोपाल और उसके आसपास के इलाकों और देशभर से श्रद्धालु हजारों की संख्या में आते हैं. यह मंदिर पुरातत्व विभाग के आधीन है. इस प्राचीन मंदिर पर लोगों की विशेष आस्था है. माना जाता है कि श्रावण मास में यहां पूजा-अर्चना करने से हर मनोकामना पूरी होती है.
जानिए मध्यप्रदेश में कहाँ स्तिथ है दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग?
मध्य प्रदेश में कई ऐसी ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद हैं. जिनकी ख्याति विश्व विख्यात है. इन्हीं में से राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर दूर भोजेश्वर मंदिर है. इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है. भोजपुर और इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज ने 1010 ई. से 1055 ई. में करवाया था. लोग इस मंदिर को अधूरा मंदिर के नाम से भी जानते हैं.
जानिए इस शिवलिंग को बनाने के पीछे की कहानी
रायसेन जिले के भोजपुर गांव में स्थित भोलेनाथ के इस मंदिर के अधूरे रहने के पीछे एक कहानी है. इसके वास्तविक तथ्यों का पता किसी को नहीं है. पौराणिक किवदंतियों के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण कार्य एक रात में पूरा किया जाना था, लेकिन कारीगर यह काम पूरा नहीं कर सके, इसलिए यह आज तक अधूरा ही है और इसका फिर से निर्माण नहीं करवाया गया. मंदिर से जुड़े कई सवाल भी अधूरे ही रह गए, जिनका जवाब आज तक किसी के पास नहीं है.
जानिए क्यों इस शिवलिंग को देखते ही नजर नहीं हटा पाते लोग
रायसेन जिले का यह भोजपुर मंदिर 11वीं सदी से 13वीं सदी की मंदिर वास्तुकला का एक अद्वितीय उदाहरण है. अगर यह मंदिर पूर्णरूप से निर्मित होता तो यह प्रचीन भारत का आश्चर्य माना जाता. मंदिर का पूरी तरह भरा हुआ नक्काशीदार गुम्बद, पत्थर की संरचनाएं, जटिल नक्काशी से तैयार किए गए प्रवेश द्वार और उनके दोनों तरफ उत्कृष्टता से गढ़ी गई आकृतियों से नजर नहीं हटती है.
जानिए इस शिवलिंग के निर्माण के बारे में
मंदिर की बालकनियों को विशाल कोष्ठक और खंभों का सहारा दिया गया है. मंदिर की बाहरी दीवारों और ढांचे को कभी बनाया ही नहीं गया. मंदिर को गुंबद के स्तर तक बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया मिट्टी का रैम्प अभी तक दिखाई पड़ता है, जो हमें इमारत निर्माण कला (चिनाई) में पुरातन बुद्धिमता का दर्शन कराता है.
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जानिए भोजपुर की विशेषता
मध्यकालीन भारत की विशेषता बलुआ पत्थर की रिज पर भोजपुर स्थित है, जो कि 11वीं सदी का एक शहर है. यह मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. बेतवा नदी पुनः बनाए गए इस प्राचीन शहर के पास बहती है, जो भोजपुर पर्यटन में पुरानी दुनिया के आकर्षण का समावेश करती है. भोजपुर का यह नाम परमार राजवंश के सबसे शानदार शासक राजा ‘भोज’ के नाम पर रखा गया था.
पौराणिक और कलाओं का भंडार है भोजपुर इसीलिए यहाँ जाना चाहिए
आप अचानक पहुंचने वाले पर्यटक हों या फिर वास्तुकला के विशेषज्ञ, राजा भोज के शासनकाल के तहत बिना तराशे हुए बड़े पत्थरों की इमारत बनाने की एक प्राचीन शैली द्वारा (विशाल चिनाई) द्वारा निर्मित बांध अवश्य देखे जाने वाले स्थानों में से एक है. भोजपुर और उसके आसपास के पर्यटक स्थल भोजेश्वर मंदिर को पूरब के सोमनाथ के नाम से भी जाना जाता है, जो भारत की उन अद्भुत संरचनाओं वाली इमारतों में से एक है, जिसे एक बार जरूर देखा जाना चाहिए.
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