सीहोर, 17 फरवरी (हि.स.)। मप्र के सीहोर जिले में स्थित कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम में शुक्रवार को शुरू हुए सात दिवसीय रुद्राक्ष महोत्सव के दौरान शुक्रवार को भी एक तीन साल के बच्चे की मौत हो गई। महाराष्ट्र के जलगांव से माता-पिता बच्चे को लेकर यहां पहुंचे थे। इससे पहले गुरुवार को भी यहां महिला की मौत गई थी जबकि एक अन्य महिला ने गुरुवार देर रात जिला अस्पताल में दम तोड़ दिया। इस प्रकार दो दिन में कुबेरेश्वर धाम में दो महिलाओं समेत तीन मौतें हो चुकी है, जबकि करीब 50 लोग लापता बताए जा रहे हैं।
सीहोर कलेक्टर प्रवीण सिंह के मुताबिक रुद्राक्ष महोत्सव में आई एक महिला और एक बच्चे की मौत हुई है। महिला की मृत्यु का कारण कार्डियक अरेस्ट है, जबकि तीन वर्षीय बच्चे की मौत बीमारी के कारण हुई है। बच्चे को सेरेब्रल पाल्सी नाम की बीमारी थी। वह इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड (पहले से कई बीमारियों से पीड़ित) था। कलेक्टर ने बताया कि कुबेरेश्वर धाम में करीब 2000 श्रद्धालुओं ने सर्दी, खांसी, बुखार समेत अन्य रोगों की दवाएं यहां बने दवा काउंटर से लीं। इनमें से एक भी श्रद्धालु को किसी भी अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी है।
कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा आयोजित रुद्राक्ष महोत्सव में जलगांव के विवेक विनोद भट्ट पत्नी और दो बेटों के साथ गुरुवार को आए थे। भट्ट ने बताया कि तीन साल के बेटे अमोघ भट्ट की तबीयत पहले से थोड़ी खराब थी। गाड़ी की सुविधा नहीं होने से हम पैदल ही आए। रास्ते में बच्चे की तबीयत और खराब हो गई। हम उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां आईसीयू में भर्ती कर लिया गया। शुक्रवार सुबह डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया।
वहीं, अकोला की रहने वाली 40 वर्षीय मंगला गुरुवार शाम को चक्कर खाकर गिर पड़ी थीं। उन्हें जिला अस्पताल लेकर आए थे, जहां गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी देर रात उनकी मौत हो गई। इससे पहले गुरुवार दोपहर को मालेगांव की रहने वाली 50 वर्षीय महिला ने भी दम तोड़ दिया था।
गौरतलब है कि रुद्राक्ष महोत्सव गुरुवार को शुरू हुआ, लेकिन पहले ही दिन लाखों लोगों की भीड़ के कारण कार्यक्रम स्थल पर हालात बेकाबू हो गए थे। शुक्रवार को भी भारी भीड़ के बाद रुद्राक्ष वितरण का कार्यक्रम रोक दिया गया, जिसके बाद रुद्राक्ष लेने के लिए देशभर से आए लोग खाली हाथ लौटने लगे। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा है कि अब महोत्सव के बजाय रुद्राक्ष पूरे साल मिलेंगे। उन्होंने कहा कि शनिवार को महाशिवरात्रि पर पूरे देश में महाकाल के भक्तों का विश्वास देखने को मिलेगा। उन्होंने ये भी कहा कि थोड़ी व्यवस्थाएं ठीक कर फिर से रुद्राक्ष वितरण शुरू किया जाएगा।
कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष महोत्सव में अव्यवस्थाओं के कारण लोगों को हुई परेशानियों को लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग ने शुक्रवार को कलेक्टर और एसपी सीहोर से 5 बिन्दुओं पर एक सप्ताह में तथ्यात्मक प्रतिवेदन मांगा है।
इन बिंदुओं पर मांगा जवाब
– आयोजक ने कितने लोगों के आने की अनुमानित संख्या और अन्य व्यवस्थाओं की जानकारी देकर लिखित में अनुमति चाही थी?
– प्रशासन ने कितने लोगों की अनुमानित संख्या के हिसाब से सुरक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मूल आवश्यकताओं की उपलब्धता को सुनिश्चित किया था?
– आयोजन स्थल के पास स्थित स्टेट हाईवे पर सुचारू ट्रैफिक के साथ ही कार्यस्थल के आसपास यातायात, पार्किंग की क्या व्यवस्था की गई?
– कार्यक्रम के पहले ही दिन अनुमान से ज्यादा लोगों और वाहनों के आने पर अनियंत्रित हुई स्थिति को काबू में करने के लिए क्या प्रयास किए गए?
– पहले ही दिन व्यवस्थाओं से कई गुना अधिक संख्या में व्यक्ति और वाहनों के आने से अनियंत्रित हुए ऐसे वातावरण/परिस्थितियों को ठीक करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा क्या वैधानिक कार्यवाही की गई है?
इधर, जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डा. प्रवीर गुप्ता ने बताया कि गुरुवार को महाराष्ट्र के मालेगांव निवासी 52 वर्षीय मंगलाबाई की मौत हो गई थी, जिसका पोस्टमार्टम शुक्रवार को किया गया। इस महिला की मौत हार्ट अटैक से हुई है। वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र के ही अकोला निवासी 40 वर्षीय मंगला की मौत गुरुवार-शुक्रवार की रात हुई है। इस महिला का शव बिना पोस्टमार्टम कराए परिजन अपने घर ले गए हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र के जलगांव निवासी विवेक भट्ट के तीन वर्षीय बेटे अमोद की तबीयत शुक्रवार को बिगड़ गई, जिसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। थाना कोतवाली सीहोर में 50 से अधिक महिला-पुरुष के अपने साथियों से बिछड़ने की सूचना दी गई है, जिनमें से अधिकतर लोग मिल चुके हैं।
कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा हमने श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्थाओं की जो बात कही थी, वह सही थी। इसको लेकर हमने कथा पंडाल, ठहरने, भोजन, पार्किंग, पानी और शौचालय के इंतजाम किए थे, लेकिन अनुमान के अनुसार दो लाख लोग रोज आना था, पर दो दिन पहले से ही लोग आकर रुक गए, वहीं कथा के पहले दिन ही 20 लाख से अधिक लोग आए, जिससे अव्यवस्था हो गई।
एसडीएम अमन मिश्रा का कहना है कि विठ्ठलेश समिति द्वारा हमसे जो अनुमति ली गई थी, उसमें संख्या नहीं थी, लेकिन डेढ़ से दो लाख लोगों के आने का अनुमान बताया था, जिसको देखते हुए हमने दस लाख लोगों के हिसाब से इंतजाम किए थे, लेकिन 20 लाख से अधिक लोग यहां पहुंच गए, जिससे हालात बिगड़ गए। देखा जाए तो दूसरे दिन भी पांच से सात लाख लोग यहां पहुंचे, लेकिन वह आते-जाते रहे, जिससे हालात काबू में हैं। हाईवे भी बहाल है।