आज पंडित धीरेंद्र शास्त्री का नियम सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्व में भी काफी ज्यादा चर्चे में है और लोग बाबा धीरेंद्र शास्त्री के पास अपने दुखों को लेकर आते हैं. आज मदर्स डे के अवसर पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी मां के बारे में कुछ खास बातें शेयर की. पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि 16 साल पहले मेरे साथ कुछ ऐसा वक्त था कि मुझे खाना भी नहीं मिलता था.
उन्होंने कहा कि मां ने मुझे अभाव में मुस्कुराना सिखाया और प्रभाव में विनम्रता सिखाएं. पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हमारी स्प्रिचुअल लाइफ में जिन्होंने चार चांद लगाया वह मेरी मां थी. उन्होंने कहा कि अब रोज लाखों लोग भंडारा कर आते हैं मां का क़र्ज़ कोई नहीं चुका सकता.
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा – मां ने मुझे अभावों में मुस्कुराना सिखाया,उन्होंने कहा तू सारी मां की सेवा करता जा
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उन्होंने कहा कि बात 16 साल पुरानी है जब मैं 10 साल का था तब हमारे जीवन में बहुत ही अभाव था. हम परिवार में माता-पिता दो छोटे भाई बहन के और पिताजी पंडित रामकृपाल गर्व कुछ करते नहीं थे.
उस समय मेरी मां सरोज गर्ग ने हमें मुस्कुराना सिखाया और उन्होंने कहा कि जब तुम घर से बाहर निकलो तो पड़े को यह पता ना लगे कि तुम भूखे हो इसलिए मुस्कुरा कर निकलना. मेरी मां ने कहा कि तुम्हें परिस्थितियों पर रोना नहीं चाहिए.
पंडित धर्मेंद्र शास्त्री ने कहा – मां ने मुझे अभावों में मुस्कुराना सिखाया,उन्होंने कहा तू सारी मां की सेवा करता जा
उन्होंने कहा 10 वर्ष की मेरी उम्र रही होगी जब उन दिनों जल चढ़ाने टूटा हुआ तांबे का लोटा लेकर और फटा हुआ तो लिया पहन कर जाते थे एक दिन घर पर मेहमान आए थे. हमने मां से कहा कौन से ऐसे पाप हमने किए हैं जो हमारे घर पर भोजन तक नहीं है. पिताजी से कहो वह कुछ करें.
मेरी मां ने कहा कि तुम्हारे पिताजी अस्वस्थ हैं. तुम एक ही बात को ध्यान रखो कि अपने कर्तव्य पर तुम्हें अडिग रहना है. मां से हमने संघर्ष करना सीखा है. आपको बता दें कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि तब गाय और भैंस से जो दूध निकलता था उस दूध को बेचकर मां घर चलाती थी. उन्होंने कहा कि पुत्र वाले को पुत्र हो सकता है लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती.