भारत को लीची का दूसरा बड़ा उत्पादक देश कहा जाता है और आज के समय में लगभग 100000 हेक्टेयर जमीन पर लीची की खेती की जाती है. आपको बता दें कि 700000 टन से भी ज्यादा लीची का पैदावार भारत में किया जा रहा है.
6 महीने में मालामाल बना देगी लीची की खेती,विदेशों में भी है इसका डिमांड,जाने इसकी खेती का वैज्ञानिक तरीका
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शुरुआत में जम्मू-कश्मीर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में ऋषि उगाई जाती थी लेकिन आज बिहार पश्चिम बंगाल झारखंड असम त्रिपुरा छत्तीसगढ़ उत्तरांचल उड़ीसा हरियाणा पंजाब समेत 13 राज्यों में लीची का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है.
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आपको बता दें कि लीची की व्यवसायिक खेती करने पर ज्यादा फायदा होता है. क्योंकि लीची से जयंत शरबत नेक्टर और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स भी तैयार किए जाते हैं जिसका बहुत सारा पैसा मिलता है.
आपको बता दें कि आप अगर लीची की खेती करने जा रहे हैं तो आपको नीचे खेती के लिए वैसे जमीन के चयन करनी चाहिए जो की जल निकासी वाली हो. लीची का पौधा लगा दिए तो 2 साल बाद आपको ज्यादा देखभाल की जरूरत पड़ेगी.
आपको अगर लीची की फसल अच्छी क्वालिटी से उप जानी है तो आपको बूटी विधि से पौधा तैयार करना चाहिए क्योंकि बीजों से पौधा बनाकर खेती से अच्छी क्वालिटी की फल नहीं मिलते और पेड़ों की बढ़वार भी धीरे होती है.
गुड्डी विधि से अगर आप पौधे तैयार करेंगे तो आपको काफी अच्छी पैदावार होगी और साथ ही साथ इस पर अच्छी क्वालिटी के फल आते हैं. मानसून की अच्छी बारिश होने के बाद आप लीची के पौधों की रोपाई करें. इसके लिए जून-जुलाई का महीना ठीक रहता है इस समय बारिश के कारण पौधों की तेजी से बड़वार होने लगती है.