2046 तक नेट जीरो हासिल करने के लिए अग्रसर है इंडियन ऑयल : कार्यपालक निदेशक

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बेगूसराय, 13 मई (हि.स.)। बरौनी रिफाइनरी के कार्यपालक निदेशक एवं रिफाइनरी प्रमुख आर.के. झा ने कहा है कि आने वाले दशकों में पारंपरिक ईंधन की मांग बढ़ने की संभावना है। जो इंडियन ऑयल द्वारा रिफाइनरियों में 2.4 लाख करोड़ के निवेश को औचित्य प्रदान करता है। इसमें पेट्रोकेमिकल यूनिटों का विस्तार भी शामिल है।

शनिवार को आयोजित प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि भारत की प्रति व्यक्ति पेट्रोलियम की खपत वर्तमान में 12 किलोग्राम है, जो वैश्विक प्रति व्यक्ति खपत 35 किलोग्राम से काफी कम है। यह अंतर एक जबरदस्त व्यापार अवसर का संकेत देता है जो बढ़ते जीडीपी के साथ आगे बढ़ेगा। सतत विकास और हरित भविष्य के निर्माण में नेट जीरो प्रतिबद्धता के साथ हरित विकल्पों पर ध्यान बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि इंडियन ऑयल 2046 तक नेट जीरो हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। जिसके लिए हरित ईंधन का उत्पादन बढ़ाने, निम्न कार्बन ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को अपनाने, ऊर्जा दक्षता में वृद्धि, ताजे पानी के पदचिन्हों को कम करने, हरित ऊर्जा के उपयोग को अधिकतम करने, हरित कवर का विस्तार करने, जैव-विविधता की रक्षा करने, कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने इत्यादि पर व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहे हैं।

बरौनी रिफाइनरी सतत विकास की दिशा में नेट जीरो 2046 लक्ष्य की ओर सार्थक कदम बढ़ा रही है। इसके लिए सभी पर्यावरणीय मानकों का पालन किया जा रहा है। ग्रीन बेल्ट और बड़े पैमाने पर पौधरोपण किया जा रहा है। 445 एकड़ जमीन पर एक लाख 65 हजार पेड़ मुंगेर में लगाए गए और बेगूसराय में भी पेड़ लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा रिफाइनरी में नैचुरल गैस के उपयोग, सोलर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन, ग्रिड पावर, इत्यादि पर भी कार्य किए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि बरौनी रिफाइनरी ने 58 वर्षों में 2018-19 में 6661.2 टीएमटी के पिछला सर्वश्रेष्ठ को पार करते हुए 2022-23 में अब तक का सर्वाधिक क्रूड थ्रुपुट 6785.4 टीएमटी हासिल किया। इसके साथ ही अब तक का सबसे कम फ्युल एवं लॉस, एमबीएन और एनर्जि एफिसिएनसी इंडेक्स (ईआईआई) भी हासिल किया। जिससे रिफाइनरी की ऊर्जा दक्षता का पता चलता है।

इसके अलावा परिचालन उपलब्धता फाक्टर, ओवेरऑल थर्मल एफिसिएनसी, पावर प्लांट में ईंधन की खपत एवं विशिष्ट जल खपत के पैरामीटर पर भी बेहतरीन प्रदर्शन दिया। बीआर ने पेट्रोल एवं इथेनोल मिश्रित पेट्रोल, रिफॉर्मेट, हवाई ईंधन, डीजल, अलकतरा, लो सल्फर हैवी स्टॉक (एलएसएचएस), पेट्रोलियम कोक और सल्फर का अब तक का सर्वाधिक उत्पादन एवं प्रेषण किया। प्रमुख माध्यमिक इकाइयों डीएचडीटी, इंडजेट, प्राइमजी (नया पुराना), कोकर-ए और बिटुरॉक्स का अब तक का उच्चतम थ्रूपुट भी हासिल किया।

बीआर ने वर्ष के दौरान अब तक के सर्वाधिक 11 विभिन्न प्रकार के नए क्रूड को प्रोसेस किया। जिससे बीआर क्रूड बास्केट में विविधता लाने की क्षमता का प्रदर्शन हुआ। इसके साथ ही मेक इन इंडिया पहल के माध्यम से आत्मानिर्भर भारत के निर्माण में इंडियन ऑयल और ईआईएल द्वारा निर्मित स्वएशि तकनीक पर आधारित इंडजेट यूनिट को कमीशन किया गया था। भारत का पहला और विश्व का तीसरा ग्रीन कूलिंग टॉवर स्थापित किया गया। जो 360 एसआरएफटी प्रति वर्ष (175 केडबल्यू) ऊर्जा की बचत करता है।

एसिड गैस और सावर गैस के प्रसंस्करण के लिए एसआरयू के एमसीसी में स्थापित न्यू स्प्लिट फ्लो कॉन्फिगरेशन शामिल था। जिससे 28 करोड़ प्रति वर्ष के बराबर 44 सौ एसआरएफटी की बचत हुई। इसके साथ ही डीजल एक्सॉस्ट फ्लुइड (डीईएफ) संयंत्र जो दो हजार सीसी से अधिक क्षमता वाले सभी भारी डीजल वाहनों में अनुमेय सीमा से नीचे निकास गैसों में एनओएक्स उत्सर्जन को कम करने के लिए एससीआर प्रणाली की आवश्यकता को पूरा करता है।

उन्होने कहा की बरौनी रिफाइनरी के क्षितिज को पूरी तरह से बदलने वाली बीआर-9 विस्तारिकरण परियोजना गतिशीलता से आगे बढ़ रही है और दिसम्बर 2024 तक इसके पूरी होने की योजना है। 220 केवी ग्रिड पावर और नैचुरल गैस परियोजना पर भी कार्य प्रगति पर है। इसे अगले दो-तीन महीनो में कमीशन किया जाएगा। उन्होंने सीएसआर और सीईआर के रूप में अपनी सामुदायिक विकास परियोजनाओं के माध्यम से बेगूसराय के स्थानीय समुदायों और लोगों के लिए की जाने वाली योजना तथा भविष्य की परियोजना की भी जानकारी दी।

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