भारतवर्ष के ऋतुचक्र में शीत, वर्षा और गर्मी होती है, सभी ऋतुओं में लोगों को वातावरण के अनुसार रहना पड़ता है, शीतकाल में लोगों को गर्म कपड़े पहनने पड़ते हैं। वहीं बारिश में लोगों को छाते का प्रयोग करना पड़ रहा है। जब भी ऋतु चक्र अलग होता है। तब तक सभी लोगों को बीमार होने का ज्यादा डर रहता है।
भारत के विभिन्न राज्यों में ऋतु के अनुसार जलवायु का प्रभाव भिन्न-भिन्न होता है। सर्दी के मौसम में सबसे ज्यादा ठंड उत्तर भारत के पंजाब, जम्मू कश्मीर, दिल्ली, हरियाणा में सबसे ज्यादा पड़ती है। उत्तर भारत में शीतकाल में हिमपात होता है। हिमपात बर्फ की बारिश है। जिसका असर कई राज्यों पर पड़ता है। ठंड में सुबह-सुबह धुएं का माहौल रहता है। जिसे जकर के नाम से जाना जाता है। पहले के समय में सभी ऋतुओं का चक्र ठीक से चलता था, परन्तु आज के युग में शीत ऋतु में वर्षा की सम्भावना रहती है, ग्रीष्म ऋतु में भी वर्षा की सम्भावना रहती है।
जिससे कई लोगों के बीमार पड़ने की संभावना ज्यादा होती है। वर्षा ऋतु में सर्वाधिक वर्षा नदी विभाग के आसपास के क्षेत्रों में होती है। ज्यादा बारिश से खेडूत का पाक क्षतिग्रस्त हो जाता है। राजकोट, जूनागढ़, कच्छ जैसे राज्यों में भारत में अधिकतम वर्षा होती है। वे सभी राज्य नदी विस्तार के आसपास हैं। ग्रीष्म ऋतु में मध्य भारत में अधिकतम गर्मी अनुभव की जाती है। गर्मियों में लोगों को हीट स्ट्रोक जैसी बीमारियां हो जाती हैं। बारिश के मौसम में लोगों के बीमार होने के चांस ज्यादा होते हैं, लोगों को डेंगू, मलेरिया, बुखार, जुकाम जैसी बीमारियां ज्यादा होती हैं.
भारत में सबसे ज्यादा ठंड नवंबर, दिसंबर और जनवरी में होती है। पुरे उतर भारत में अभी ठंड का मौसम चल रहा है. आनेवाले दिनों में हिमाचल प्रदेश में 26 और 27 दिसंबर को बारिश होने की संभावना बताई गई है. क्युकी अभी 2 सप्ताह तक मौसम शुष्क रहेगा। इसकी वजह से वह बारिश होने की संभावना है. वर्तमान समय में ऋतु चक्र में अनेक परिवर्तन देखने को मिलते हैं। जिसमें सर्दी के मौसम में ठंड कम, गर्मी के मौसम में गर्मी कम और बारिश के मौसम में बारिश कम होती है। और इसी के चले बिन मौसम बारिश की संभावना हो सकती है. हालाँकि, यह सब प्रभाव प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन पर निर्भर करता है।