2013 का वह दिन कौन भूल सकता है? कि जब हैदराबाद के दिलसुखनगर में 2 सीरियल ब्लास्ट हुए थे, जिसमें 17 लोगों की जान चली गई थी. इसके अलावा इस आतंकी हमले में 120 से ज्यादा लोग घायल भी हुए थे. दिसंबर 2016 में एनआईए की विशेष अदालत ने इंडियन मुजाहिदीन के 5 आतंकियों को मौत की सजा सुनाई थी।
इस दिन के इतिहास की बात करें तो ये घातक विस्फोट मानस पटल पर अंकित हैं। ये धमाके एक बस स्टैंड और एक थिएटर के बाहर हुए। साइकिल पर रखा था बम दोनों धमाके करीब 150 मीटर के दायरे में हुए। धमाका शाम के वक्त हुआ था और उस वक्त इलाके में काफी भीड़ थी। धमाके में आईईडी का इस्तेमाल किया गया था जिससे सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
2007 में हैदराबाद में मक्का मस्जिद सहित तीन जगहों पर विस्फोट हुए थे। मक्का मस्जिद के अलावा लुंबिनी पार्क और निजी इलाके कोठी में भी विस्फोट हुए। जब ये तीन धमाके हुए तब भी एक बम दिलसुखनगर में लगाया गया था. लेकिन उस समय इसे सफलतापूर्वक अक्षम कर दिया गया था।
हैदराबाद ब्लास्ट के
दोषी आजमगढ़ के गुलाम ना पुरा (बाज बहादुर) निवासी असदुल्लाह अख्तर उर्फ हद्दी को एनआईए की विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई है। असदुल्लाह के पिता डॉ. जावेद अख्तर हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हैं। असदुल्लाह अख्तर का नाम पहली बार 2008 के दिल्ली बम धमाकों में सामने आया था। मूल रूप से देवगांव कोतवाली क्षेत्र के बैरीडीह गांव के रहने वाले डॉ. जावेद अख्तर हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं। एनआईए ने उस पर पांच लाख का इनाम घोषित किया था। जिसे बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर दिया गया।
खुफिया एजेंसियों को हमले की जानकारी पहले से ही थी। इसलिए 18 फरवरी को अलर्ट भी घोषित किया गया था। सूत्रों के मुताबिक, नेपाल से 4 लोगों ने घुसपैठ की। तब खुफिया एजेंसियों ने 4 शहरों में ब्लास्ट की धमकी की सूचना दी थी। पुणे में हुए सिलसिलेवार धमाकों में धमाकों के लिए साइकिलों का भी इस्तेमाल किया गया था और 6 धमाकों का समय भी शाम 7 बजे से 7.14 बजे के बीच था।