आजकल के समय में फूल की खेती करके भी लोग अमीर बन रहे हैं क्योंकि पुष्पीय पौधों का मांग बढ़ रहा है.आपको बता दें कि पुष्पीय पौधों में गुलदाउदी का जगह बहुत ही खास है और इस क्षेत्र कृत्रिम वातावरण में भी आसानी से हो सकती है.
आपको बता दें कि गुलदाउदी शीत ऋतु का एक बेहद ही आकर्षक और लोकप्रिय पौधा है साथ ही साथ इस ऐसी शरद ऋतु की रानी कहा जाता है.आपको बता दें कि गुलदाउदी खूब लोरी ऑफिस के नाम से जाना जाता है.पूजा पाठ के साथ-साथ पार्टियों में और शादी-ब्याह में सजावट के लिए इसका उपयोग होता है.
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उपयुक्त जलवायु में गुलदाउदी का पौधा शरद ऋतु वाला पौधा है और इसके पौधे ग्रीष्म ऋतु और वर्षा ऋतु में ठीक से नहीं बढ़ पाते हैं. इसके बाद यार से 16 डिग्री सेल्सियस तापमान में बढ़ते हैं या फिर उससे कम तापमान होने पर भी इसके पौधे विकास नहीं कर पाते हैं.
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इसके उत्पादन के लिए जीवाश्म से मुक्त बलुई दोमट मिट्टी और जल निकासी वाली भूमि की जरूरत पड़ती है. इसके उत्पादन के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 तक होना चाहिए.
खेत तैयार करते समय आपको गहरी जुताई तीन से चार बार करनी पड़ती है उसके बाद क्या रियो को बनाना पड़ता है. गुलदाउदी के गानों को लगाने के लिए फरवरी से मार्च का महीना बहुत ही खास माना जाता है. इसको दो से तीन बार हल्की सिंचाई करनी पड़ती है.
दादी का मांग काफी ज्यादा होता है और शादी-ब्याह के सीजन में तो इसकी मांग काफी ज्यादा बढ़ जाती है. पूजा पाठ के साथ-साथ सजावट के लिए भी इस पौधे का काफी बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है.