लाल चन्दन की खेती कर काम समय में बने ‘पुष्पा भाऊ’ जितना अमीर, ‘पुष्पा’ मूवी में जिस लाल चंदन से करोड़ों की कमाई के बारे में बताया गया था वह असल में भी काफी ज्यादा मूल्यवान है. कुछ सालों तक किसान केवल परंपरागत खेती करते थे. किसानों का हमेशा से ही कहना रहा है कि खेती से उन्हें उतना मुनाफा नहीं मिल पाता जितना मिलना चाहिए. कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि आज भी कई किसान ऐसे हैं जो परंपरागत खेती के अलावा कुछ नया करने में संकोच करते हैं इसीलिए वे अच्छी आमदनी नहीं कर पाते. लेकिन आज हम आपके लिए एक ऐसे पेड़ की खेती की जानकारी लेकर आये हैं, जिसका सदियों से उपयोग किया जा रहा है. जिसकी खेती कई लोगों को करोड़पति बना चुकी है. ये है चंदन की खेती।
चंदन का उपयोग कई चीजों में किया जाता है. इसकी लकड़ी से फर्नीचर, मूर्तियाँ सहीत कई डेकोरेटिव आइटम्स बनाए जाते हैं. पाउडर का इस्तेमाल सौन्दर्य प्रधान की चीजों को बनाने में, शर्बत बनाने में किया जाता है. पूजा में भी चन्दन की लकड़ी का व्यापार तौर पर उपयोग होता है. यानी चंदन पूरे साल भारी मांग में रहता है. जिसके कारण इसके भाव हमेशा ही बढ़े हुए रहते हैं. इसीकारण यदि आप भी चंदन की खेती करते हैं तो इससे आप करोड़ों का केवल मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
जानिए चन्दन के प्रकार
चंदन के चार प्रकार होते हैं. जिसमें से एक है लाल चंदन और दूसरा सफेद चंदन, तीसरा मयूर आयर चौथा नाग चंदन. सफ़ेद चंदन की अपेक्षा लाल चंदन की मांग और दाम बहुत अधिक है. इसीलिए आज हम आपको लाल चंदन की खेती से जुडी जानकारी देने वाले हैं। लाल चंदन को कई नामों से पुकारा जाता है. वैज्ञानिक इसे पेरोकार्पस सैंटलिनस कहते हैं. इसके अलावा इसे रतनजली, रक्तचंदनम, अत्ति, शेन चंदनम, लाल चंदन, रूबी, जैसे कई नामों से पुकारा जाता है।
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जानिए लाल चन्दन का उपयोग
चंदन में एंटी बैक्टेरियल प्रॉपर्टी होती है, जिसके कारण त्वचा के रोगों को दूर करने के लिए बड़े स्तर पर इसका उपयोग किया जाता है. दाग-धब्बों और मुहासों के लिए तो घर-घर में चंदन का उपयोग होता है. इतना ही नहीं सूरज की रौशनी से जली हुई त्वचा यानी टैनिंग को भी इससे दूर किया जा सकता है. इसमें घाव को जल्दी भरने के गुण होते हैं. छोटे-मोटे घाव, खरोच पर चंदन का लेप जलाने से जल्दी राहत मिलती है. कैंसर और पंचन तंत्र की बीमारियों से बचने के लिए लाल चंदन का सेवन भी किया जाता है।
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लाल चन्दन की खेती के लिए जलवायु
लाल चंदन की खेती के लिए शुष्क गर्म जलवायु सही रहती है. दोमट मिट्टी जहाँ जल निकासी की उचित व्यवस्था हो, मिट्टी का पीएच मान 4.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए. ध्यान रहे कि रेतीले और बर्फीले इलाकों में इनकी खेती नहीं की जा सकती. पौधों की रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय मई से जून के बीच का रहता है।
जानिए लाल चन्दन की रोपाई से लेकर बुआई तक की प्रोसेस
रोपाई के लिए लाल चंदन का पौधा आपको कहीं भी नर्सरी से 100 से 150 रुपए का मिल जाएगा. रोपाई से पहले आपको खेत को तैयार करना होता है. खेती की दो से तीन बार अच्छी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बना लें. अब पाटा लगाकर खेत को समतल बनाए. इसके बाद खेतों में 4-4 मीटर की दूरी पर 45 सेंटीमीटर चौड़े और उतने ही गहरे गड्ढे बना लें. अब उनमें गोबर की खाद भरे जिसके बाद ही रोपाई करें. पौधों को जहाँ लगा रहे हैं वहां जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि ज्यादा पानी से उन्हें नुकसान होता है।