इटावा में मोदी की पसंदीदा मशरूम टी का हो रहा है उत्पादन,लाखों की हो रही है कमाई, बूढ़ा होने से रखती है दूर
इटावा जनपद के महेवा विकासखंड क्षेत्र के राहतपुरा गांव में हो रहा है उत्पादन
बी फार्मा कर युवक ने अपने ही गांव में लैब बनाकर कर रहा है विदेशी कोर्डिसेप्स मिलीटेरिस मशरूम का उत्पादन
20 लाख रुपए की लागत से तैयार हुई मशरूम को तैयार करने की लैब
इटावा जनपद के विकास खंड महेवा में राहतपुर गांव का युवक गौरव कश्यप ने बी फार्मा और एमबीए की पढ़ाई कर प्राइवेट कंपनी में जॉब की और मार्केटिंग का भी कार्य किया। जब कोबिट किस समय लॉकडाउन लगा और उनकी नौकरी उनके हाथ से चली गई इसी बीच उन्होंने अपनी बी फार्मा के माध्यम से और यूट्यूब के जरिए एक ऐसे मशरूम की तलाश की किसकी मेडिकल लाइन में मांग कभी कम नहीं होती यह वही मशरूम है जिससे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिन में तीन बार सेवन करते हैं यह मशरूम टी के भी नाम से जानी जाती है, इस मशरूम के सेवर मात्र से ही कई तरीका की विटामिन प्रोटीन एवं अन्य पोषक तत्व शरीर में पहुंचकर उनकी मात्रा को पूरा करते हैं जिससे आपका शरीर निरोग और चमकदार रहता है इसके लगातार सेवन करने से आप की बढ़ती हुई उम्र में विराम लग जाता है और आपकी उम्र से कम से कम 20 से 25 फ़ीसदी इसका सेवन करने वाली की उम्र कम लगती है।
गौरव कश्यप ने बताया की इसकी शुरुआत उन्होंने 2018 में पहली बार की थी लेकिन उस समय इनको रिस्पांस नहीं मिला। लेकिन जब लोगों को और मेडिकल लाइन के लोगों को मेरे द्वारा की जाने वाली कोर्डिसेप्स मिलीटेरिस मशरूम के बारे में पता पड़ा तो फिर मेरे पास ऑडर की भरमार लग गई।
उन्होंने बताया कि इस कोर्डिसेप्स मिलीटेरिस मशरूम को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे कुछ लोग कीड़ा जड़ी, हिमालय संजीवनी, हिमालय वाइग्रा, हिमालय गोल्ड व मशरूम टी के नामों से भी जाना जाता है।
बी फार्मा एमबीए मार्केटिंग की पढ़ाई की थी जिसके बाद इसके बारे दिल्ली में एक डॉक्टर ने इस बारे बताया और यूट्यूब की मदद से फिर मैंने इसका उत्पादन करने के लिए अपने ही गांव में लैब बनाने के बारे में सोचा और मेरे परिवार के लोगों की मदद से मैंने 20 लाख रुपए की लागत से मशरूम को तैयार करने के लिए लैब को तैयार कर दिया। लैब के अंदर टेंपरेचर मेंटेन के लिए ऐसी लगाई गई तो वही ह्यूमिनिटी फायर सिस्टम भी लगाया गया जो की नमी को बरकरार रखता है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र होने के नाते बिजली की समस्या से बचने के लिए 8 किलो वाट का सोलर प्लांट भी लगाया हुआ है जो दिन में बैटरी को चार्ज करता है और पूरे लैब को बिजली देता है और रात में वही चार्ज बैटरी बिजली का उत्पादन करती हैं जिससे कि लैब में 24 घंटे बिजली से चलने वाले यंत्र बिना किसी विधान के चलते रहे।
1 वर्ष के उत्पादन में 6 बार निकलती है मशरूम
गौरव ने जानकारी देते हुए बताया कि 1 वर्ष में हमारी बीस लाख रुपए की लागत से तैयार हुई 15 फूट चौड़ी और फूट लंबी लैब में चार हजार जार आ जाते है, जिसमें हर 2 महीने बाद करीबन 5 किलो के करीब कोर्डिसेप्स मिलीटेरिस मशरूम का उत्पादन होता है,प्रति साल 6 बार मशरूम को तोड़ा जाता है जिसमें 30 किलो के करीब कोर्डिसेप्स मिलीटेरिस मशरूम की पैदावार होती है।
इंडिया में 60 हजार प्रति किलो के रेट से बिकती है कोर्डिसेप्स मिलीटेरिस मशरूम
गौरव ने बताया की कोर्डिसेप्स मिलीटेरिस मशरूम की कीमत 60 हजार या उससे अधिक भी हो जाती है,जब जैसी डिमांड हो उसी हिसाब से इसका मूल्य रहता है वही चाइना,इंडोनेशिया,सिंगापुर एवं अन्य देशों में इसकी कीमत ढाई से तीन लाख प्रति किलो के हिसाब से होती है।
गौरव ने बताया कि इसकी सप्लाई के लिए उन्होंने अपनी फार्म भी बना रखी है और उसका रजिस्ट्रेशन अमेजॉन फ्लिपकार्ट टाटा mg1 सहित अन्य ऑनलाइन मार्केटिंग साइट पर कर रखा है जहां से लगातार आर्डर आते हैं और कोरियर के माध्यम से ऑर्डर को पहुंचाया जाता है, वहीं उन्होंने यह भी बताया कि इस उत्पादन के माध्यम से मैं व मेरे भाई सहित 10 लोगों को रोजगार मिल रहा है जिसमें से 4 से अधिक लोगों को उन्होंने दिल्ली में ही मार्केटिंग का कार्य दे रखा है जो दिल्ली में मेडिकल लाइन से जुड़े हुए लोग व अन्य व्यक्तियों से मिलकर मार्केटिंग करते हैं और माल की सप्लाई करवाते हैं। अभी उन्होंने बताया कि इस तरीके की लैब इटावा जनपद के आसपास कहीं नहीं है यह इटावा की इकलौती लैब है जहां पर कोर्डिसेप्स मिलीटेरिस मशुरूम का उत्पादन किया जा रहा है, सबसे पास में कानपुर और लखनऊ में इस मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है वही सबसे बड़ी तादाद में दिल्ली, देहरादून क्षेत्र में इस मशरूम की पैदावार की जा रही है।
गौरव ने बताया कि कोई भी व्यक्ति अगर कोर्डिसेप्स मिलीटेरिस मशरूम को करना चाहता है तो वह उसकी पूरी मदद करेंगे और उसकी हर तरीके से सहायता करेंगे।
रिपोर्ट : सौरभ द्विवेदी