मध्य्प्रदेश की राजधानी भोपाल जनसमस्याओं को सुलझाने में पिछड़ रहा है,52 जिलों में राजधानी भोपाल ने हासिल की है 43वी रेंक जो बेहद अचम्भित होने वाली बात है,बता दे की नवंबर में यह 47वे स्थान पर था,पिछले महीने जनवरी में 18 हजार 344 शिकायते दर्ज हुई है अधिकतर शिकायते वित्त विभाग (492),गृह विभाग (3710),ऊर्जा (2915),राजस्व (967) इन विभागों से भारी मात्रा में शिकायते दर्ज हुई है!समस्या निराकार की अवधी 90 दिन होने के बावजूद नहीं निकाल पा रहे समस्या का समाधान!
प्रदेश के 52 जिलों में जनसमस्याओ के समाधान हेतु भोपाल ने हासिल की 43वी रेंक
Read Also: बैतूल के JH College में शिक्षकों और छात्रों द्वारा बड़े स्तर पर किया पौधारोपण,देखे विद्यार्थियों का उत्साह
जनवरी में आईं 18 हजार 344 शिकायतें
राजधानी भोपाल में पिछले महीने अक्टूबर में सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से कुल 18 हजार 344 शिकायतें लोगों ने दर्ज कराई थी। यह शिकायतें सरकार के अलग-अलग विभागों से संबंधित हैं। इनमें से कुल 75.51 प्रतिशत शिकायतों का निराकरण अधिकारी कर सके हैं। इस तरह कुल 13 हजार 854 शिकायतों का निराकरण हुआ है जबकि चार हजार 490 शिकायतें लंबित हैं। इस तरह भोपाल प्रदेश में बी ग्रेडिंग के साथ 43वें स्थान पर है।
इस तरह पिछड़ रहा भोपाल
प्राप्त शिकायतों में से 60 प्रतिशत शिकायतें संतुष्टि के साथ बंद होना चाहिए, लेकिन महज 44 प्रतिशत ही बंद हो सकीं। वहीं 50 दिन से अधिक लंबित शिकायतों का निराकरण 20 प्रतिशत होना चाहिए, लेकिन 11.21 प्रतिशत ही हो सका है। नान अटेंडेंट शिकायतों का प्रतिशत 10 होना चाहिए, जो भी 9.82 प्रतिशत है। इस तरह से सीएम हेल्पलाइन पर प्राप्त शिकायतों का निराकरण करने में राजधानी पिछड़ी हुई है।
शिकायतों के निराकरण की प्रक्रिया ऐसे होती है
सीएम हेल्पलाइन में की जाने वाली शिकायत को एल-वन अधिकारी दर्ज करते हैं जिसका निराकरण 30 दिन में किया जाना चाहिए। यदि शिकायत का निराकरण नहीं होता है तो एल-टू अधिकारी के पास जाती है जिसकी समयावधि 45 दिन होती है। इसी तरह शिकायत लंबित रहने पर एल तीन अधिकारी के पास जाती है जिसके निराकरण की समयावधि 90 दिन होती है। फिर भी शिकायत का निराकरण नहीं होता है तो एल-चार अधिकारी के पास इसे प्रेषित किया जाता है। जिसके पास छह महीने में समस्या का समाधान करने का समय होता है।
इन विभागों की सबसे ज्यादा आती है शिकायते
नगरीय विकास एवं आवास – 5750
गृह – 3710
ऊर्जा – 2915
राजस्व – 967
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण – 570
पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक – 532
वित्त – 492