महीने भर में 1000 लीटर से अधिक दूध देती है भैंस की ये नस्ल,जानें इनकी खासियत। पशुपालक भैंस पालन कर अपने दूध के व्यवसाय में बेहतर कमाई कर सकते हैं। डेयरी फॉर्म के बिजनेस के अच्छी कमाई वाला बिजनेस माना जाता है। वैसे अगर इस बिजनेस में आप अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो आप दूसरे इन नस्लों की भैंस को पालकर मोटी कमाई कर सकते है। आज हम आपको एक ऐसे ही पशुपालन व्यवसाय से जुड़ी खबर बताने जा रहा है। किसान गाय पालन के साथ भैंस पालन करते है। तो वह बढ़िया कमाई कर सकते हैं। पशुपालन के क्षेत्र में भैंस पालन काला सोना है और इनमें से किसान अगर मुर्रा एवं नीली रावी नस्ल के भैंस का पालन करते हैं, तो बेहतरीन कमाई कर सकते हैं। आइये जानते है इन नस्लों के भैंसो और उनसे होने वाली कमाई के बारे में।
1. मुर्रा भैंस के पालन से होगी तगड़ी कमाई
महीने भर में 1000 लीटर से अधिक दूध देती है भैंस की ये नस्ल,जानें इनकी खासियत। इसकी उत्पत्ति का स्थान हिसार से दिल्ली तक माना जाता है। गर्भा अवधि 310 दिन की होती है। मुर्रा भैंस पालतू भैंस की एक नस्ल है, जो दूध उत्पादन के लिए पाली जाती है। इनका पालन उत्तर भारत के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। दूध में वसा उत्पादन के लिए मुर्रा सबसे अच्छी नस्ल है। इसके दूध में 7% वसा पाया जाता है वहीं मुर्रा भैंस की सींग जलेबी के आकार में काला रंग का होता है।
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महीने भर में 1000 लीटर से अधिक दूध देती है मुर्रा नस्ल की भैंस
दावा किया जाता है कि ये भैंस महीने भर में 1000 लीटर से अधिक दूध देती है। उत्तर भारत में इस भैंस को बड़े स्तर पाला जाने लगा है। मुर्रा भैंस मूलतः अविभाजित पंजाब की पशु है। लेकिन हाल के समय में ये दूसरे प्रांतों के साथ विदेशों में भी पाली जा रही है। जिनमें से इटली, बल्गेरिया, मिस्र में बड़े पैमाने पर पाली जाती है. वहीं हरियाणा में इसे ‘काला सोना’ कहा जाता हैै।
2. नीली रावी भैंस के पालन से होगी तगड़ी कमाई
नीली रावी पंजाब की घरेलू नस्ल की भैंस है। नीली रावी नस्ल भैंस का पालन मुर्रा भैंस के बाद सबसे अधिक की जाती है। नीली और रावी भैंस की क्रॉस ब्रीडिंग वाली ये भैंस पंजाब में काफी फेमस है। फिरोज़पुर के ग्रामीण इलाकों में पाई जाने वाली इस भैंस की सेहत मजबूत होती है। इस नसल का शरीर काला, बिल्ली जैसी आंखें, माथा सफेद, पूंछ का निचला हिस्सा सफेद, घुटनों तक सफेद टांगे, मध्यम आकार की होती है और भारी सींग होते हैं। इसके शरीर के पांच भाग में सफेद रंग होता है। इसका औसतन भार 600 किलो और भैंस का औसतन भार 450 किलो होता है।
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इसका उपयोग मुख्य रूप से डेयरी उद्योग के लिए किया जाता है
इसका उपयोग मुख्य रूप से डेयरी उद्योग के लिए किया जाता है। यह मुख्य रूप से पाकिस्तान और भारत में अधिक पाई जाती है। इसके अलावा बांग्लादेश, चीन, फिलीपींस, श्रीलंका, ब्राज़ील,वेनेजुएला देश के किसान भी इसका पालन करते हैं। वहीं एक साल में ये करीब लगभग 2000 किग्रा दूध दे सकती हैं। इसका रिकॉर्ड दूध उत्पादन 378 दिनों में 6535 किलोग्राम है।