निजी रूप से ब्याज पर रुपए उधार देना क्या है अपराध, जानिये इससे जुड़े कानून कायदे और नियम आज के समय में खर्च अधिक और आय कम होने के कारण व्यक्ति को किसी न किसी समय कर्ज लेना पड़ता है। आज अनेक वित्तीय संस्थाएं लोगों को व्यापारिक तौर से कर्ज बांट रही हैं। यह वित्तीय संस्थाएं बैंक या कोई अन्य संस्था होती है, ये ब्याज का धंधा करती हैं, लोगों को कर्ज़ देती हैं और उस पर ब्याज के रूप में कोई राशि लेती हैं, जो उनकी कमाई होती है। इन संस्थाओं को सरकार ने यह व्यापार को करने के लिए लाइसेंस दे रखा है, लेकिन इन संस्थाओं से अलग कुछ लोग निजी रूप से भी छोटे स्तर पर ब्याज पर रुपए उधार देने जैसा काम करते हैं।
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कुछ लोगो को बैंक द्वारा नहीं दिया जाता है लोन
कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें बैंक द्वारा लोन नहीं दिया जाता, क्योंकि बैंक लोन लेने के लिए जिन शर्तों को लगाती है, वे लोग इन शर्त को पूरी नहीं कर पाते हैं। बैंक उन्हें लोन लेने का पात्र नहीं मानती है। बैंक की ऐसी शर्त की पूर्ति नहीं करने के कारण व्यक्ति कर्ज़ लेने के लिए निजी लोगों के पास जाता है। बगैर लाइसेंस के नहीं किया जा सकता ब्याज का धंधा ब्याज़ से संबंधित कोई भी काम करने के लिए मनी लेंडिंग एक्ट के अंतर्गत सरकार द्वारा स्थापित संस्था से लाइसेंस लेना होता है। अलग-अलग प्रदेशों में साहूकार अधिनियम भी होता है। इस साहूकार अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए प्राधिकरण ब्याज पर रुपए देने के व्यापार करने के लिए लाइसेंस देते हैं।
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लोगो को दिया जाता है ब्याज से पैसे देने के लिए लाइसेंस
इस प्रकार का लाइसेंस लेने की एक प्रक्रिया होती है, जितने भी लोगों को यह लाइसेंस दिया जाता है, उन लोगों को एक निश्चित दर पर ब्याज लेने का आदेश किया जाता है। वे लोग उस निश्चित दर से अधिक पर ब्याज नहीं ले सकते हैं। उन्हें अपने सभी कार्यों का लेखा-जोखा रखना होता है। ऐसे लेखों को उन्हें प्रतिवर्ष प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत करना होता है। इस प्रकार कोई व्यक्ति निजी रूप से भी छोटे स्तर पर ब्याज का व्यापार कर सकता है। अधिक मामलों में देखने को यह मिलता है कि नगर के गुंडे बदमाश ब्याज पर रुपए उधार देने का काम करते हैं। इन लोगों के पास किसी भी सरकारी संस्था का कोई भी लाइसेंस नहीं होता है। ये अपनी मनमर्जी से लगाई हुई ब्याज दर से लोगों को ब्याज पर रुपए उधार देते हैं। इनका ब्याज एक चक्रव्यूह की भांति चलता है। कोई भी व्यक्ति इसमे फंसता ही चला जाता है, क्योंकि लोग प्रतिमाह ब्याज अदा कर देते हैं और मूलधन की राशि वहीं की वहीं रहती है। इस तरह से लोग ब्याज माफियाओं के फंदे में फंसते ही चले जाते हैं।
जानिये निजी रूप से ब्याज से पैसे देना अपराध है
यह स्पष्ट रूप से एक अपराध है। पहली बात तो यह है कि बगैर लाइसेंस के कोई भी ब्याज़ का व्यापार नहीं किया जा सकता। दूसरी बात यह है कि अगर बगैर लाइसेंस के भी काम किया जा रहा है तब मनमर्जी से कोई भी ब्याज दर नहीं लगाई जा सकती, बल्कि वही ब्याज दर ली जा सकती है जि से सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है। जैसे कि सरकार ने प्रतिवर्ष 13% ब्याज लगाने को कहा है तब कोई भी साहूकार इस दर से ही ब्याज की वसूली कर सकता है। अगर उसने इस दर से अधिक दर पर ब्याज वसूलने का प्रयास किया तो यह कानूनन अवैध होगा।
इस तरह के ब्याज माफिया जब कभी भी लोगों को कोई भी राशि ब्याज पर देते हैं, तब उनसे एक ब्लैंक स्टाम्प पर हस्ताक्षर करवा लेते हैं, साथ ही एक ब्लैंक चेक पर हस्ताक्षर करवा लेते हैं। इन दोनों ही चीजों के आधार पर यह ब्याज माफिया लोगों को धमकियां देते हैं और उनसे अधिक से अधिक ब्याज वसूलते हैं, जबकि इन दोनों ही चीजों की कोई भी कानूनी मान्यता नहीं रहती है।
अगर किसी व्यक्ति ने किसी ब्लैंक स्टाम्प पर हस्ताक्षर कर भी दिए हैं तब भी उसका कोई कानूनी वजूद नहीं होता क्योंकि उस पर किसी भी नोटरी वकील की तस्दीक नहीं होती है। बगैर तस्दीक के हस्ताक्षर कर देने से कोई भी कानूनी बाध्यता नहीं आती है।
ऐसे ब्याज माफिया से नहीं लेना चाहिए पैसे
ऐसे ब्याज माफिया से किसी भी तरह का कर्ज नहीं लेना चाहिए, लेकिन अगर कोई व्यक्ति निजी रूप से किसी को किसी तरह का कर्ज़ दे रहा है तब उसे कोरा स्टाम्प हस्ता
क्षर करके नहीं देना चाहिए। साथ ही किसी भी तरह का ब्लैंक चेक भी नहीं देना चाहिए, बल्कि कर्ज लेने वाले को एक एग्रीमेंट करना चाहिए।
उस एग्रीमेंट में कर्ज की राशि लिखी जानी चाहिए, इसी के साथ जो चेक दिए जा रहे हैं उन चेक की सभी डिटेल लिखी जानी चाहिए। साथ ही यह भी लिखा जाना चाहिए चेक एक सिक्योरिटी के लिए दिए जा रहे हैं न कि किसी अन्य उद्देश्य के लिए। जब कभी हम कोई चेक सिक्योरिटी के रूप में देते हैं, तब उन चेक के आधार पर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 का मुकदमा नहीं लगाया जा सकता। कर्ज लेने वाले को एक एग्रीमेंट जरूर कर लेना चाहिए।
एक एग्रीमेंट ज़रूरी
ऐसे ब्याज माफिया से किसी भी तरह का कर्ज नहीं लेना चाहिए, लेकिन अगर कोई व्यक्ति निजी रूप से किसी को किसी तरह का कर्ज़ दे रहा है तब उसे कोरा स्टाम्प हस्ताक्षर करके नहीं देना चाहिए। साथ ही किसी भी तरह का ब्लैंक चेक भी नहीं देना चाहिए, बल्कि कर्ज लेने वाले को एक एग्रीमेंट करना चाहिए।
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