Pineapple Farming Tips: किसान भी बन सकता है बिजनेस मैन यह खेती कर कमा सकते करोड़ो रुपये,पाइनएप्पल के नाम से मशहूर इस फल में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। अनानास एक ऐसा फल है जिसको आप कभी भी ताजा काटकर खा सकते है। यह फल पेट के रोगों में रामबाण दवा की तरह काम करता है। अनानास की खेती में भी किसानों को भरपूर लाभ मिलता है।
लेकिन जानकारी के अभाव में बहुत कम किसान ही इसकी खेती करते हैं। यदि आप पारंपरिक खेती से हटकर कुछ नया करना चाहते हैं, तो अनानास की खेती से कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
भारत में इसकी सबसे अधिक खेती छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, केरल, असम, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, पश्चिमी बंगाल आदि राज्यों में होती है। अनानास की खेती के लिए 15 से 32 सेंटीग्रेड का तापमान सही होता है। इसके लिए 100-150 सेंटीमीटर बारिश की ज़रूरत होती है। ज्यादा ठंड वाले इलाकों में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए।
कम समय में आपको करोड़ों का मालिक बना सकती है अनानास की खेती,जानिए अनानास की खेती करने का सही तरीका
अनानास के लिए जीवांशयुक्त मिट्टी का ही चयन करें। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से अधिक और 5 से कम नहीं होना चाहिए। जलभराव वाले जमीन में अनानास की खेती नहीं करें।
खेत तैयार करने का तरीका
अनानास की रोपाई से पहले ग्रीष्मकाल में ही खेत की अच्छी तरह से जुताई कर लें। खेत से खरपतवार नष्टकर मिट्टी पलटने वाले से खेत की अच्छी तरह जुताई करें। उसके बाद गोबर की सड़ी हुई खाद मिट्टी में मिलाकर 1 से 2 बार जुताई कल्टीवेटर से जुताई कर लें। खेत की उपरी सतह सूखने के बाद रोटावेटर लगाकर मिट्टी को भुरभुरा बनाकर समतल कर लें।
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पौधे लगाने का सबसे अच्छा तरीका
अनानास की खेती के लिए बरसात का मौसम सबसे उपयुक्त होता है। सिंचाई की पर्याप्त सुविधा होने पर जनवरी से मार्च और मई से अगस्त के बीच इसकी खेती की जा सकती है। अनानास के रोपाई इसके कलम यानी फल के कलम से की जाती है। इसके लिए स्वस्थ फल के कलम के उपयोग करें।
अनानास की सबसे अच्छी किस्मे
किसान भी बन सकता है बिजनेस मैन यह खेती कर कमा सकते करोड़ो रुपये,अनानास की यह किस्म असम, मिजोरम, मेघालय आदि राज्यों में मुख्य रूप से उगाया जाता है। यह बहुत जल्द पकने वाली किस्म है। इसके पौधे आकर में छोटे होते है। फलों को रंग पकने के बाद पीला हो जाता है। यह किस्म खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं। इस किस्म का वजन 1.5 से 2 किलो तक होता है।
रैड स्पैनिश किस्म
अनानास की इस किस्म को असम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और मेघालय में सबसे अधिक उगाई जाती है। इस किस्म में रोगों का प्रकोप कम होता है। इसके फलो का वजन 1- 1.5 किलो तक होता है। फल का बाहरी आवरण कठोर, खुरदरा और पीला होता है। इस फल का उपयोग ताजे फल के रूप में किया जाता है। यह किस्म बाजार में सबसे अधिक बिकने वाली किस्म है।
जाइंट क्यू किस्म
अनानास की इस किस्म को त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, असम और मिजोरम में मुख्य रूप से उगाया जाता है। इस किस्म के पौधों की पत्तियां चिकनी एवं लम्बी होती है। फलों का आकार बड़ा होता है। इसके अलावा फल का वजन लगभग 3 किलोग्राम तक होता है। अनानास की इस किस्म को पछेती किस्म के रूप में उगाया जाता है।
मॉरिशस किस्म
अनानास की इस किस्म का उत्पादन लगभग सभी राज्यों में की जा सकती है। यह एक विदेशी किस्म है। इसकी पत्तियां दातेदार होती है। इसका फल लगभग 2किलो तक होता है। इस किस्म को पकने में एक साल के ऊपर का समय लगता है।
किस समय सिचाई एवं कोनसा उर्वरक कब देना होता है
धीमे बहाव से पौधे की सिंचाई करें, इससे पौधों की जड़ें नहीं उखड़ती हैं। वहीं उर्वरक प्रबंधन की बात करें तो गोबर या कंपोस्ट खाद पौधों की रोपाई के पहले ही कर दें। पौधों की बढ़वार के समय यूरिया की उचित मात्रा दें। रासायनिक खाद के रुप में प्रति हेक्टेयर 680 किलो अमोनियम सल्फेट, 340 किलो फास्फोरस और 680 किलो पोटाश साल में दो बार पौधों को ज़रूर दें।