दोस्तों माँ के दूध के गुणों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जन्म के छह माह तक बच्चे के लिए सिर्फ मां का दूध ही पर्याप्त होता है। इसके अतिरिक्त उसे पानी पिलाने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती।
आइये जानते हैं माँ के दूध के फायदे
मां के दूध में एक डीएचएचए नाम का तत्व पाया जाता है जो बच्चे के दिमागी विकास में अहम भूमिका निभाता है। इससे शिशु को भावनात्मक सुरक्षा का एहसास होता है, जिससे मस्तिष्क के उचित विकास में सहायता मिलती है।
छोटे बच्चे बेहद नाजुक होते हैं और इसलिए वह जल्दी बीमार पड़ते हैं। लेकिन अगर मां उन्हें स्तनपान कराए तो उनके बीमार होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।
दरअसल, मां के दूध में मौजूद तत्व शरीर के भीतर मौजूद हानिकारक सूक्ष्म जीवों को नष्ट करके शरीर के भीतर ऐसे सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ाते हैं जो बच्चे की सर्दी, जुकाम और अन्य संक्रमित बीमारियों से रक्षा करते हैं। खासतौर से, मां के स्तन से पहली बार निकलने वाला गाढ़ा पीले रंग का द्रव्य संक्रमण से बचाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने में मदद करता है।
मां का दूध शिशु को मोटापे से बचाने का काम भी करता है। दरअसल, जब मां का दूध सुपाच्य होता है, जिसके कारण बच्चे के शरीर पर अनावश्यक चर्बी नहीं चढ़ती। वहीं बोतल से दूध पीने वाले बच्चे न सिर्फ जरूरत से ज्यादा दूध पीते हैं, बल्कि उस दूध को पचा पाना भी काफी मुश्किल होता है। जिसके कारण वह मोटापे का शिकार हो जाते हैं।