फेफड़े के कैंसर के पहले चरण में निदान होने पर अविलंब आपरेशन किए जाने पर मरीज के बचने की 80-85 फीसदी संभावना होती है. इस बीमारी के निदान के लिए संस्था में जल्द ही ‘डोज कॉम्प्यूटेड टोमोग्राफी’ जांच की सुविधा उपलब्ध होगी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में फेफड़े की बीमारी से भारत में सबसे ज्यादा लोगों की मृत्यु होती है. कैंसर के सौ मरीजों में तेरह मरीज फेफड़े के कैंसर से पीड़ित होते हैं. भारत में हरवर्ष फेफड़े के कैंसर के 70 हजार से अधिक मरीज पाए जाते हैं. इसीप्रकार 60 हजार से अधिक मरीजों की इस बीमारी से मृत्यु हो जाती है. महाराष्ट्र में भी इसका औसत ज्यादा है. अब विदर्भ में भी इसका औसत बढ़ने के मामले सामने आए हैं. विदर्भ में मौजूदा स्थिति में बिजली उत्पादन की 14 परियोजनाएं है. विशेषज्ञों का कहना है कि इन परियोजनाओं के परिसरों में सांस की बीमारी से मृत्यु का औसत बढ़ गया है.
फरीदाबाद स्थित सर्वोदय हॉस्पिटल के डॉ. दिनेश पेंढारकर ने कहा कि तंबाकू के कारण कैंसर होने का खतरा 40 फीसदी होता है. शासन की ओर से विविध विज्ञापनों के माध्यम से लोगों को तंबाकू से दूर रहने की अपील की जाती है. इसके बाद भी तंबाकू की आदत पर कोई प्रतिबंध नहीं लग रहा है, यह एक पहेली है. विश्व में फेफड़े का कैंसर दूसरे क्रमांक पर है. इस कैंसर के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है. इसलिए इस बीमारी को गंभीरता से लेना आवश्यक है.