Business Idea आप भी 1 हेक्टेयर में लाल चन्दन की खेती कर कमाए पुरे 75 करोड़ रूपये, जानिए खेती की सम्पूर्ण जानकारी आपने चंदन के बारे में तो सुना ही होगा। चंदन का उपयोग भगवान की पूजा में शर्बत बनाने से लेकर इत्र बनाने तक में किया जाता है। बाजार में इसकी काफी डिमांड है। अगर इसकी खेती सही तरीके से की जाए तो किसान इससे लाखों रुपये कमा सकते हैं। आपको बता दें कि भारत में दो तरह के चंदन की खेती की जाती है, एक सफेद चंदन और दूसरा लाल चंदन। आज हम आपको ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से लाल चंदन की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
जानिए लाल चंदन की खेती की विधि और इसके फायदे
आशा है यह जानकारी आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगी। जी हां, लाल चंदन का इस्तेमाल भगवान की पूजा से लेकर मूर्ति बनाने, फर्नीचर बनाने समेत कई तरह के कामों में किया जाता है। इस वजह से बाजार में लाल चंदन की काफी मांग है और इस वजह से इसे बेचने पर काफी अच्छे दाम मिलते हैं। ऐसे में लाल चंदन की खेती फायदे का सौदा बनती जा रही है।
लाल चंदन की खेती से लाभ
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लाल चंदन को जंगली वृक्ष माना जाता है। लाल चंदन को कई नामों से जाना जाता है। इसे अल्मुग, सौंडरवुड, रेड सैंडर्स, रेड सैंडर्सवुड, रेड सॉंडर्स, रक्त चंदन, लाल चंदन, रागत चंदन, रुखतो चंदन आदि नामों से जाना जाता है। लाल चंदन के पेड़ का वैज्ञानिक नाम पटरोकार्पस सैंटलिनस है। यह भारत के पूर्वी घाट के दक्षिणी भागों में पाया जा सकता है। इसके पेड़ को कम देखभाल की आवश्यकता होती है। अगर किसान इसकी खेती करता है तो वह काफी मुनाफा कमा सकता है। माना जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक टन लकड़ी की कीमत 20 से 40 लाख रुपए के बीच है। लाल चंदन और उसके लकड़ी के उत्पाद विशेष रूप से चीन और जापान जैसे देशों में बहुत मांग में हैं। वहीं इसकी घरेलू मांग भी काफी ज्यादा है। प्रत्येक लाल चंदन का पेड़ 10 साल तक 500 किलो उपज देता है। बता दें कि लाल चंदन के पेड़ की प्रजातियों की वृद्धि बहुत धीमी होती है और सही मोटाई हासिल करने में कुछ दशक लग जाते हैं।
लाल चंदन की विशेषताएं और उपयोग
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लाल चंदन एक छोटा पेड़ है, जो 5-8 मीटर ऊंचाई तक बढ़ता है और गहरे लाल रंग का होता है। लाल चंदन का उपयोग मुख्य रूप से नक्काशी, फर्नीचर, डंडे और घर के लिए किया जाता है। इसका उपयोग संगीत वाद्ययंत्र बनाने के लिए भी किया जाता है। इसके अलावा लाल चंदन का उपयोग संतरा, औषधि और सौंदर्य प्रसाधन के निष्कर्षण के लिए किया जाता है। लोग मंदिरों और घर में भी लाल चंदन का प्रयोग करते हैं।
लाल चंदन की खेती के लिए उपयोगी मिट्टी और जलवायु
यह शुष्क गर्म जलवायु में लाल चंदन की खेती के लिए अच्छा है। अच्छी जल निकास वाली दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए अच्छी होती है। मिट्टी का pH मान 4.5 से 6.5 pH होना चाहिए। बता दें कि रेतीले और बर्फीले इलाकों में लाल चंदन की खेती संभव नहीं है।
लाल चंदन की खेती का समय
चूंकि लाल चंदन की खेती के लिए शुष्क गर्म जलवायु अच्छी मानी जाती है। इस दृष्टि से भारत में इसकी खेती के लिए सबसे अच्छा समय मई से जून तक माना जाता है।
लाल चंदन के साथ संयंत्र मेजबान संयंत्र
लाल चंदन का पौधा लगाना अच्छा होता है। ऐसा कहा जाता है कि मेजबान की जड़ें लाल चंदन की जड़ों की तरह होती हैं, इसलिए इसके साथ इसका पौधा लगाना चाहिए। इससे लाल चंदन के पौधे की वृद्धि तेजी से होती है। मेजबान पौधा चंदन के पौधे से 4 से 5 फीट की दूरी पर लगाना चाहिए।
लाल चंदन का पौधा कहां से लगाएं और कितना खर्च आएगा
किसानों को लालचंदन का पौधा सरकारी या निजी नर्सरी से 120 रुपये से 150 रुपये में मिलेगा। इसके अलावा इससे जुड़े मेजबान पौधे की कीमत करीब 50 से 60 रुपये है। लाल चंदन की खेती के लिए भूमि की बार-बार जुताई की जाती है।सबसे पहले खेत की एक से तीन बार ट्रैक्टर से जुताई करें। इसके बाद एक बार कल्टीवेटर से खेत की जुताई करके खेत की मिट्टी को मोटा कर लें। इसके बाद खेत को समतल करने के लिए खेत को समतल करें।
लाल चंदन की खेती के लिए खेत कैसे तैयार करें
अब खेत में 4 मीटर और 4 मीटर की दूरी पर 45 सेमी x 45 सेमी x 45 सेमी आकार के गड्ढे खोदे जाते हैं। लाल चंदन के पौधे 10 x 10 फीट के दो फासले में लगाए जा सकते हैं। अगर आप पेड़ लगाते रहेंगे तो आप उन्हें कभी भी लगा सकते हैं, लेकिन अगर आप लगाते हैं तो बेहतर होगा कि आप दो से तीन साल पुराना पौधा लगाएं। इसका एक फायदा यह होगा कि आप इसे किसी भी मौसम में लगा सकेंगे और इसकी देखभाल भी कम करनी होगी। इसके पौधे नीची जगहों पर नहीं लगाने चाहिए। इसलिए इसे खेतों की मेड़ पर लगाया जा सकता है। मेड को ऊंचा रखें ताकि लाल चंदन के पौधे के पास पानी जमा न हो।
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लाल चंदन की खेती में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग
बारिश के शुरुआती मौसम में गाय के गोबर की सड़ी हुई खाद की 2-3 टोकरियाँ, 2 किलो नीम की खली, 1 किलो सिंगल सुपर फास्फेट मिट्टी को अच्छी तरह मिलाकर गड्ढा भर देना चाहिए। वर्षा ऋतु के बाद थाला बनाकर सिंचाई करनी चाहिए।
लाल चंदन की खेती के लिए सिंचाई प्रबंधन
चंदन के पौधों को हफ्ते में 2 से 3 लीटर पानी की जरूरत होती है। जानकारों के अनुसार चंदन के पेड़ को पानी से ही रोग होता है। इसलिए चंदन के पौधों को जलजमाव की स्थिति से बचाना चाहिए। इसलिए खेत में ऐसी व्यवस्था करें कि लाल चंदन के पौधे के पास जलजमाव न हो। वहीं अगर इसकी सिंचाई की बात करें तो इसके पौधे रोपने के तुरंत बाद इसकी सिंचाई कर देनी चाहिए. तत्पश्चात मौसम की स्थिति के आधार पर 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जा सकती है।
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लाल चंदन की खेती में खरपतवार नियंत्रण के उपाय Weed control measures in red sandalwood cultivation
चूंकि खरपतवार सभी फसलों में प्रचलित हैं। इसी प्रकार लाल चंदन के पौधों के आसपास खरपतवार उगते हैं, जो पौधे की वृद्धि में बाधक होते हैं। इसलिए समय-समय पर खरपतवारों को खेत से हटाकर कहीं दूर फेंक देना चाहिए। लाल चंदन के पौधे को पहले दो साल तक खरपतवार मुक्त रखना जरूरी है।
लाल चंदन की खेती में कीट एवं रोग नियंत्रण के उपाय
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लाल चंदन के पेड़ में पत्ती खाने वाले इल्लियों का प्रकोप होता है। यह कीड़ा अप्रैल से मई तक फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए साप्ताहिक अंतराल पर दो बार 2% मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है।