Maharashtra Political Crisis: एकनाथ शिंदे समेत छोड़ गए एक-एक कर 41 विधायक महाराष्ट्र, क्या कर रहा था राज्य का इंटेलिजेंस विभाग?

महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट (Maharashtra Political Crisis) के बीच एक बड़ा सवाल उठ कर सामने आ रहा है. एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के साथ एक-एक कर 41 विधायक राज्य छोड़ कर निकल गए. आज वे गुवाहाटी में बैठकर शिवसेना पार्टी के चुनाव चिन्ह धनुष बाण पर दावा कर रहे हैं. इस वजह से महा विकास आघाड़ी की सरकार संकट में आ चुकी है. इतनी बड़ी घटना होते वक्त इस बारे में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) को कानो-कान कोई खबर नहीं हुई? एनसीपी नेता और उप मुख्यमंत्री अजित पवार को कुछ पता नहीं चला? बगावत करने वाले विधायकों में से एक गृह-राज्यमंत्री भी थे और राज्य के ग़ृहमंत्री और एनसीपी नेता दिलीप वलसे पाटील को भी कुछ पता नहीं चला? राज्य का इंटेलिजेंस विभाग क्या कर रहा था? राज्य में क्या हो रहा है, उन्हें कोई खबर नहीं थी?
इस बारे में TV9 भारतवर्ष डिजिटल की ओर से हमने कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से बातचीत की तो एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि हर वक्त पुलिस की सुरक्षा में रहने वाले राजनेता जब एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हैं तो उनकी सुरक्षा में लगे अधिकारियों को अपने सीनियर अधिकारियों को इसकी सूचना देनी होती है. लेकिन यहां तो गृह राज्यमंत्री शंभूराज देसाई खुद बगावत करने वाले विधायकों के साथ थे.
सीएम उद्धव ठाकरे सिक्योरिटी से जुड़ी डेली ब्रीफिंग भी अटेंड नहीं करते थे
सवाल है कि सुरक्षाकर्मियों ने इसकी जानकारी नहीं दी या उन जानकारियों को लेकर सीएम उद्धव ठाकरे बेखबर रहे? हालांकि शिवसेना की 56वीं वर्षगांठ के मौके पर पार्टी प्रमुख होने के नाते उन्होंने यह साफ तौर से कहा था कि मां के दूध का सौदा करने वाली औलाद कुछ और हो सकते हैं लेकिन शिवसैनिक नहीं हो सकते. यानी उद्धव ठाकरे को बगावत की भनक लग चुकी थी. फिर भी अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे आमतौर पर राज्य की सिक्यूरिटी को लेकर डेली ब्रिफिंग भी अटेंड नहीं किया करते थे.
जहां तक बात गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील की है तो महाराष्ट्र में सालों से ऐसे व्यक्ति को गृहमंत्री बनाए जाने की परंपरा है जिनका काम बस शरद पवार के निर्देश को अमल में लाना हुआ करता है. यही काम पहले अनिल देशमुख किया करते थे और यही काम अब दिलीप वलसे पाटील किया करते हैं. फिर भी अनिल देशमुख दिलीप वलसे पाटील के मुकाबले चुस्त थे. लेकिन वलसे पाटील को कई बातें पता नहीं रहती हैं. इस बात को लेकर पहले महा विकास आघाड़ी के कुछ नेता भी शरद पवार से नाराजगी जता चुके हैं. बीच में संजय राउत की भी दिलीप वलसे पाटील से नाराज होने की खबर सामने आई थी. हालांकि संजय राउत ने बाद में इसका खंडन कर दिया था.
अजित पवार को भी पता नहीं चला? कोई कैसे करे इस पर एतबार?
लेकिन उप मुख्यमंत्री अजित पवार काफी ऐक्टिव पॉलिटिशियन हैं. उनसे ये सारी बातें छुपी रह गईं, यह बात हैरान करती है. एनसीपी की ओर से ही दिलीप वलसे पाटील को गृहमंत्री बनाया गया है और आज शरद पवार ही इस बात पर नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं कि तो तिहाई से ज्यादा विधायकों के महाराष्ट्र से निकल जाने का पता गृह विभाग को कैसे नहीं चला. शरद पवार ने एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील के प्रति भी नाराजगी जताई है लेकिन उप मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे अजित पवार को उन्होंने कुछ नहीं कहा है. इसके पीछे क्या रहस्य छुपा है? यह एक अहम सवाल है.
सीएम को नहीं पता, डिप्टी सीएम को नहीं पता, कि राज्य में हो क्या रहा?
बता दें कि विधान परिषद चुनाव के वक्त जब बीजेपी के पांचों उम्मीदवार बिजयी हुए तो शिवसेना और कांग्रेस की ओर से क्रॉस वोटिंग की बात सामने आई लेकिन एनसीपी के विधायकों ने अजित पवार की प्लानिंग के हिसाब से ही वोट दिया था. यानी एनसीपी के विधायकों ने अपनी पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर वोट नहीं किया. अजित पवार अपने विधायकों पर कंट्रोल रखने में कामयाब रहे.
ना किसी को कुछ अंदेशा, ना किसी ने इतनी बड़ी बात का दिया संदेशा ?
फिर भी ना सिर्फ फ्लाइट से बल्कि सड़क मार्ग से होकर इतनी बड़ी तादाद में विधायक राज्य छोड़ कर जा रहे थे. किसी दूसरे राज्य में दो दर्जन के करीब विधायक जा रहे हों तो इस बात को लेकर भी चिंता होनी चाहिए थी कि संबंधित राज्य पर इसका प्रभाव क्या पड़ेगा. कहीं दूसरे राज्य में इससे कोई गड़बड़ी तो नहीं पैदा होगी? इसका ना किसी को अंदेशा हुआ, ना इससे जुड़ा कोई संदेशा मिला, ऐसा कैसे हो सकता है? ना सीएम को पता चला, ना डिप्टी सीएम को और ना ही राज्य के गृहमंत्री को इसकी जानकारी हुई, यह बात शरद पवार ही नहीं किसी आम शख्स को भी गले नहीं उतर रही है.