कल मुंबई में शिवसेना का शक्ति प्रदर्शन, उद्धव नहीं आदित्य ठाकरे के हाथ में कमान… ‘सेना’ बचाने के साथ-साथ नए ‘सेनापति’ का इम्तिहान

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट की बगावत के बाद शिवसेना का मनोबल नीचे गिर गया है. ऐसे में पार्टी और पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा उठाने के लिए शिवसेना अपने गढ़ में शक्ति प्रदर्शन करने जा रही है. शिवसेना का कल मुंबई में शक्ति प्रदर्शन है. शिवसेना की इस रैली को आदित्य ठाकरे (Aditya Thcakeray) संबोधित करने वाले हैं. सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि शिवसेना की इस मुंबई रैली (Shiv Sena Mumbai Ralley) क्या एकनाथ शिंदे के जाने के बाद जो मनोबल गिरा है, उसे ऊपर उठा पाने में आदित्य ठाकरे कामयाब हो पाएंगे? क्या आदित्य ठाकरे शिवसैनिकों में एक नया जोश भर पाएंगे?
शाम साढ़े छह बजे मरीन लाइन्स के बिरला मातोश्री हॉल में होने वाली इस रैली में सभी शिवसैनिकों को शामिल होने को कहा गया है. एकनाथ शिंदे गुट शिवसेना के दो तिहाई से ज्यादा विधायकों को अपने पक्ष में कर चुका है. ऐसै में आगामी महापालिकाओं के चुनाव और खासकर मुंबई महानगरपालिका (BMC) के चुनाव से पहले शिवसेना ना सिर्फ अपने गढ़ को बचाने की कोशिश में है, बल्कि अपनी जड़ भी बचाने की कोशिश में है. एक बार फिर शिवसेना अपने ग्रास रुट की राजनीति को संभालने और संवारने में लग गई है. अहम बात यह है कि इस रैली को मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की बजाए आदित्य ठाकरे संबोधित करने वाले हैं. यानी यह एक तरह से धीरे-धीरे शिवसेना की कमान आदित्य ठाकरे के हाथ में आने का यह संकेत है. देखना यह है कि क्राइसिस के वक्त में वे कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं.
पैसों की चमक में खो गए बागी, जो भी हुआ उसके पीछे बीजेपी
इससे पहले आज उद्धव ठाकरे ने जिला प्रमुखों और जिला संपर्क प्रमुखों की एक अहम बैठक बुलाई थी. इस बैठक में आदित्य ठाकरे ने कहा कि पैसे की चमक में खो गए बागी, आदित्य ठाकरे ने घर से निकल कर जिला प्रमुखों के साथ सीएम के संवाद में भाग लेने के लिए जाते वक्त विक्ट्री का साइन दिखाया. उन्होंने इस बैठक में कहा कि सत्ता तो आती-जाती रहती है. काम याद रहता है. दुख यह है कि अपनों ने ही धोखा दिया है.
सीेएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि जो यह कहते नहीं थकते थे कि मरते दम तक शिवसेना में रहेंगे, वे शिवसेना छोड़ कर निकल गए. ठाकरे और शिवसेना के नाम का इस्तेमाल किए बिना वे खड़े होकर दिखाएं. जो चले गए उनके बारे में क्या बात करना. पेड़ से सूखे पत्ते झड़ गए लेकिन इसकी जड़ें मजबूत हैं.